यूनिवर्सिटी प्रशासन के मुताबिक इस सत्र में कुल 1 लाख 34 हजार 871 सीटें तय की गई थीं. वहीं आवेदन सिर्फ 1 लाख 11 हजार 173 छात्रों ने ही किया. दो मेरिट लिस्ट और एक स्पॉट एडमिशन राउंड के बाद भी अब तक सिर्फ 80 हजार विद्यार्थियों का नामांकन हो सका है. यानी बड़ी संख्या में सीटें अब भी खाली हैं.
विश्वविद्यालय ने बची हुई सीटों को भरने के लिए स्पॉट एडमिशन की प्रक्रिया भी शुरू की थी, लेकिन उससे भी खास असर नहीं दिखा. अब एडमिशन का समय लगभग खत्म हो रहा है और सीटें खाली रह जाने की स्थिति बन गई है.
किन विषयों में नहीं मिली दिलचस्पी
यूनिवर्सिटी के अंगीभूत कॉलेजों की प्रमुख विषयों की सीटें लगभग भर चुकी हैं. लेकिन संबद्ध कॉलेजों में कई ऐसे विषय हैं, जिनमें छात्रों की बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं दिखी. इनमें उर्दू, पाली, भोजपुरी, प्राचीन इतिहास, संगीत, ग्रामीण अर्थशास्त्र, एलएसडब्ल्यू, बांग्ला और मानव विज्ञान जैसे विषय शामिल हैं. इन विषयों की सीटें अब लगभग खाली ही रह जाएंगी.
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कॉमर्स जैसे विषय में भी इस बार छात्रों ने खास रुचि नहीं दिखाई. भोजपुर जिले के एसबी कॉलेज और एचडी जैन कॉलेज जैसे बड़े और अंगीभूत कॉलेजों की सीटें तो भर गईं, लेकिन कई संबद्ध कॉलेजों में कॉमर्स की सीटें खाली रह गईं. खासकर शाहपुर स्थित श्री त्रिदंडी देव राजकीय डिग्री कॉलेज और भोजपुर, रोहतास, बक्सर और कैमूर जिलों के संबद्ध कॉलेजों में कॉमर्स संकाय में करीब 10,929 सीटें अब भी खाली हैं.
क्या करेगा विश्वविद्यालय?
यूनिवर्सिटी प्रशासन अब सोच रहा है कि संबद्ध कॉलेजों को ‘सेल्फ स्पॉट एडमिशन’ की अनुमति दी जाए, ताकि वे अपने स्तर पर छात्रों का दाखिला करा सकें. हालांकि, यह तय है कि कई विषयों और विभागों में इस बार सीटें खाली रह ही जाएंगी.