बॉडी में ये सिग्नल दिखें तो हो जाएं सावधान, हो सकती है गंभीर परेशानी

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What Is Inflammation: इनफ्लेमेशन क्या होता है, और कैसे होता है. ये एक बड़ा सवाल है. ऐसे अगर आप इनफ्लेमेशन का शाब्दिक अर्थ देखेंगे तो इसका आसान सा मतलब होता है सूजन. लेकिन क्या ये सूजन दिखने और समझने में जितनी आसान लगती है. वाकई उतनी ही सामान्य होती है.

अगर आप सूजन को आम तकलीफ समझते हैं तो आप गलत हो सकते हैं. शरीर पर बाहर से दिखने वाली सूजन एक तरह से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हो सकती है. लेकिन जो  इनफ्लेमेशन शरीर के भीतर हो चुका है. वो किसी बड़ी तकलीफ का संकेत या शुरूआत हो सकते हैं. इसलिए इनफ्लेमेशन को भूल से भी हल्के में न लें. इनफ्लेमेशन क्या है और इससे कैसे बच सकते हैं. वो भी जान लेना जरूरी है.

क्या है इनफ्लेमेशन और उसके प्रकार?

एक्यूट इनफ्लेमेशन क्या है?

एक्यूट इनफ्लेमेशन एक हेल्दी प्रोसेस है है, जिसमें शरीर चोटों को ठीक करने और इंफेक्शन से लड़ने के लिए ये तरीका अपनाता है. जैसे ही शरीर को चोट लगती है या इंफेक्शन होता है, आपके शरीर के सेल्स और इम्यून सिस्टम दोनों सक्रिय हो जाते हैं. बुखार, दर्द, रेडनेस और इनफ्लेमेशन इसके सामान्य लक्षण हैं. यह सब व्हाइट ब्लड सेल्स के जरिए, शरीर को बचाने के लिए किया जाता है.

इनफ्लेमेशन की ये प्रोसेस पूरी होते ही शरीर सामान्य अवस्था में लौट आता है.

क्रॉनिक इनफ्लेमेशन क्या है?

जब शरीर लंबे समय तक किसी इंफेक्शन के लिए वॉर्न करता है. लेकिन खुद उस से डील नहीं कर पाता. तब इस तरह का इनफ्लेमेशन होता है. यह इनफ्लेमेशन लंबे समय तक बना रहता है. जिसका नतीजा ये होता है कि यह हेल्दी टिश्यूज को नुकसान पहुंचा सकता है और गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है.

क्रॉनिक इनफ्लेमेशन भी दो तरह का होता है:

लोकल इनफ्लेमेशन – जब किसी खास जगर पर लंबे समय तक समस्या बनी रहती है, जैसे कि दांत के इंफेक्शन.

सिस्टमेटिक इनफ्लेमेशन – जब यह पूरे शरीर को प्रभावित करती है, जैसे किसी गंभीर बीमारी के कारण.

क्रॉनिक इनफ्लेमेशन के लक्षण

एक्यूट इनफ्लेमेशन के दौरान बुखार, दर्द और थकान जैसे लक्षण सामान्य होते हैं. लेकिन जब ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें या बार-बार हों, तो यह क्रॉनिक इनफ्लेमेशन का संकेत हो सकता है. इसके सामान्य लक्षण हैं:

•     बुखार और रात में पसीना आना

•     लगातार थकान महसूस होना

•     बिना वजह वजन बढ़ना या घटना

•     स्किन से जुड़ी समस्याएं

•     जोड़ों या मसल्स में दर्द

•     पेट से जुड़ी समस्याएं, जैसे दस्त, कब्ज या एसिडिटी

•     बार-बार बीमार पड़ना

इनफ्लेमेशन के मुख्य कारण

ऑटोइम्यून डिसीजेज

इनफ्लेमेशन कम करने के तरीके

लाइफस्टाइल और खान-पान में बदलाव करके क्रॉनिक इनफ्लेमेशन के जोखिम को कम किया जा सकता है. बैलेंस डाइट, रेगुलर एक्सरसाइज और स्ट्रेस मैनेजमेंट के जरिए भी राहत हासिल की जा सकती है.

पुराने इनफ्लेमेशन के कारण

 ऑटोइम्यून बीमारियां:  जैसे ल्यूपस, रूमेटॉयड आर्थराइटिस और सोरायसिस. 

 दिल की बीमारियां:  जैसे हाई ब्लड प्रेशर. 

 पाचन तंत्र की समस्याएं: जैसे क्रोन्स डिजीज और इंटेस्टाइन में इनफ्लेमेशन. 

 फेफड़ों की बीमारियां: जैसे अस्थमा. 

 मेटाबॉलिक बीमारियां: जैसे टाइप 2 डायबिटीज. 

डाइट चेंज करने से मिलेगी राहत

प्रोसेस्ड और फैटी फूड्स, रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट और रेड मीट से भरपूर आहार इनफ्लेमेशन को बढ़ा सकता है और पुरानी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकता है. ऐसे में, हेल्दी और बैलेंस डाइट लेने से इनफ्लेमेशन को कम किया जा सकता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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