मनीष सिसोदिया की बेल से ‘आप’ के दो फायदे, AAP नेता के सामने होंगी ये 5 चुनौतियां

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दिल्ली में पिछले दिनों हुए कुछ अलग-अलग घटनाक्रमों के चलते आम आदमी पार्टी (आप) लगातार विपक्ष के निशाने पर रही, लेकिन अब पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी ने ‘आप’ को बड़ी राहत दी है।

दिल्ली में पिछले दिनों हुए कुछ अलग-अलग घटनाक्रमों के चलते आम आदमी पार्टी (आप) लगातार विपक्ष के निशाने पर रही, लेकिन अब पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी ने ‘आप’ को बड़ी राहत दी है। जेल से जमानत पर छूटने के बाद जब सिसोदिया शनिवार को ‘आप’ मुख्यालय पहुंचे तो कार्यकर्ताओं का जोश यह बताने के लिए काफी था कि उन्हें एक नेतृत्व मिल गया है।

मनीष सिसोदिया ‘आप’ के संस्थापक सदस्यों में से एक हैं। सिसोदिया को अब सरकार और संगठन की अहम कड़ी के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया वह चेहरा हैं, जिनके नेतृत्व में पार्टी के अंदर काम करने में किसी को गुरेज नहीं है। ऐसे में जब दो राज्यों दिल्ली और हरियाणा में विधानसभा चुनाव हैं तो सिसोदिया उसकी रणनीति का अहम हिस्सा होंगे।

पार्टी भी यह इशारा कर चुकी है कि मनीष सिसोदिया ही फिलहाल उसका प्रमुख चेहरा होंगे। वह ‘आप’ सरकार की रुकी हुई योजनाओं को गति देने की रणनीति पर काम करने के साथ-साथ संगठन में कार्यकर्ताओं को साथ लाने में भी अहम भूमिका निभाएंगे।

सिसोदिया के सामने होंगी ये चुनौतियां

● केजरीवाल की अनुपस्थिति में संगठन और सरकार दोनों के बीच समन्वय बनाने की जिम्मेदारी एक साथ होगी

● चुनाव से पहले पार्टी में किसी भी तरह की नाराजगी या टूट की संभावनाएं ना पैदा हों उसे लेकर काम करना होगा

● रुकी हुई योजनाओं को पटरी पर लाने के साथ, लंबे समय से लंबित योजनाओं को साथ लाना

● ‘आप’ नेताओं पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर जनता के बीच सही संदेश देना कि यह आरोप पूरी तरह से गलत हैं

● इंडिया गठबंधन में शामिल आप को जरूरत पड़ने पर दूसरे दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की रणनीति पर काम करना 



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