Budget 2024: निर्मला सीतारमण अपना पहला अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं। लोकसभा चुनाव से पहले आगामी 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से हर सेक्टर आस लगाए बैठा है। ऐसा एक सेक्टर हेल्थकेयर का भी है।
Budget 2024: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना पहला अंतरिम बजट पेश करने वाली हैं। लोकसभा चुनाव से पहले आगामी 1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट से हर सेक्टर आस लगाए बैठा है। ऐसा ही एक सेक्टर हेल्थकेयर का भी है। इस सेक्टर को बजट से उम्मीद है कि सरकार हेल्दी इंडिया के कॉन्सेप्ट को बढ़ावा देगी।
आयात को कम करने के लिए नियम जरूरी
हेल्दियन्स के सीईओ और संस्थापक दीपक साहनी ने कहा-हमें उम्मीद है कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं पर फोकस करेगी और इसके लिए फंड अलॉट होंगे। चिकित्सा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए अधिक फंड की जरूरत है और आयात को कम करने के लिए जरूरी नियम लाने होंगे। दीपक साहनी ने कहा कि आईटी हार्डवेयर, मोबाइल फोन, दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों के लिए पीएलआई योजना ने 30 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश आकर्षित किया है। पीएलआई योजना में अधिक स्वास्थ्य संबंधी श्रेणियों को शामिल कर भारत को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। स्वास्थ्य सेवाओं की डिलीवरी, सर्विस, इंफ्रा आदि के लिए पीपीपी मॉडल्स को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य बीमा को अधिक व्यापक और किफायती बनाना चाहिए। दीपक साहनी ने आगे कहा कि हमें स्वास्थ्य उद्योग के लिए टैक्स में अधिक फायदों की जरूरत है। इसी तरह स्वास्थ्य, वेलनेस, जांच में निवेश करने वालों को लाभान्वित करने की जरूरत है। अप्रत्यक्ष कर और इनपुट क्रेडिट की कमी स्वास्थ्यसेवा उद्योग के लिए चुनौती हो सकती है।
सामान्य बीमारियों की रोकथाम उपायों पर हो फोकस
ल्यूसीन रिच बायो के डॉयरेक्टर और को-फाउंडर डॉ देबोज्योति धर ने कहा कि वर्तमान सरकार भारत में स्टार्टअप कल्चर को काफी सपोर्ट कर रही है। सरकार को बजट में हेल्थकेयर सेक्टर पर भी ध्यान देने की जरूरत है। हेल्थ-टेक सेक्टर में 2023 में फंडिंग में 55% की गिरावट आई है और इस स्थिति को केवल सरकार के सपोर्ट से ही सुधारा जा सकता है। स्वस्थ भारत के लिए सामान्य बीमारियों के रोकथाम उपायों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। रोकथाम को प्राथमिकता देने से न केवल देश की अर्थव्यवस्था पर बीमारी के बोझ को कम किया जा सकता है, बल्कि यह स्वस्थ भारत के निर्माण में भी मदद कर सकता है।
क्रोनिक बीमारियों की प्रभावी रोकथाम और प्रबंधन से हॉस्पिटल में भर्ती होने की दर को काफी कम किया जा सकता है, जिससे देश पर आर्थिक तनाव कम हो सकता है। इसके अलावा इनोवेटिव लाइफ साइंस और हेल्थटेक स्टार्टअप के लिए आसान कंप्लायंस फ्रेमवर्क और टारगेटेड इंसेंटिव की शुरूआत भारतीय लाइफ साइंस क्लस्टर की पूर्ण क्षमताओं को अनलॉक करने की क्षमता रखती है। इसमें प्रशिक्षित और कुशल मैनपॉवर, आईटी स्किल आदि शामिल हैं। इन सब चीजों के अमल में लाने से भारतीय हेल्थकेयर इकोसिस्टम में एक क्रांतिकारी युग की शुरुआत की जा सकती है।
हेल्थकेयर में बहुत संभावनाएं
मेडलर्न के को-फाउंडर और CEO दीपक शर्मा ने कहा कि हेल्थकेयर सेक्टर में देश की अर्थव्यवस्था में योगदान देने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपार संभावनाएं हैं। हेल्थकेयर सेक्टर से रोजगार वृद्धि के साथ साथ विकास और उत्पादकता में वृद्धि करने की क्षमता है। स्किल्ड और क्वालीफाइड ह्यूमन रिसोर्सेज की कमी और प्राइवेट सेक्टर द्वारा ट्रेनिंग में कम निवेश होने से ग्रामीण क्षेत्रों में अपर्याप्त रूप से स्वास्थ्य सेवा पहुंच के साथ-साथ रिसर्च और डेवलपमेंट या इनोवेटिव देखभाल मॉडल में कम निवेश होता है। आगामी बजट को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि सरकार मांग और आपूर्ति समीकरण के दोनों पक्षों को प्रोत्साहित करेगी।