एसीएफआई ने कहा, ”देश के पास मौजूदा समय में आयात के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए आयात शुल्क कम करना जरूरी है ताकि भारतीय किसान नए प्रौद्योगिकीय फसल संरक्षण समाधान से वंचित न रह जाएं।”
कृषि रसायन क्षेत्र (एग्रोकेमिकल सेक्टर) से जुड़ी कंपनियों के संगठन एसीएफआई (ACFI) ने केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (NirmalaSitha Raman) से आगामी बजट में फसलों का संरक्षण करने वाले रसायनों पर आयात शुल्क और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कम करने का आग्रह किया है।
कीटनाशक बनाने वाली और आयातक इकाइयों का प्रतिनिधित्व करने वाले एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) ने इस संदर्भ में वित्त मंत्रालय को दिये रिपोर्ट में सरकार से कृषि रसायनों के लिए अनुकूल कदम उठाने और कृषि विज्ञान केंद्रों (केबीके) के तत्वावधान में रिसर्च और विकास कार्य को बढ़ावा देने के लिए निजी क्षेत्र को वित्तीय सहायता मुहैया कराने का भी अनुरोध किया है। वित्त मंत्री एक फरवरी को 2023-24 का बजट पेश करेंगी।
संगठन के अध्यक्ष परीक्षित मूंदड़ा ने एक बयान में कहा कि भारत ने पिछले कुछ समय में किसी भी नए फसल संरक्षक रसायन ‘मोलेक्यूल’ की खोज नहीं की है। इसका कारण खोज से लेकर व्यवसायीकरण तक की प्रक्रिया में अधिक खर्च आना है। इस कारण घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना आवश्यक है।
एसीएफआई ने कहा, ”देश के पास मौजूदा समय में आयात के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इसलिए आयात शुल्क कम करना जरूरी है ताकि भारतीय किसान नए प्रौद्योगिकीय फसल संरक्षण समाधान से वंचित न रह जाएं।” एसीएफआई ने खाद की तरह फसल संरक्षक रसायनों पर जीएसटी को घटाकर पांच प्रतिशत करने का भी आग्रह किया। उसका कहना है कि रसायन पर मौजूदा 18 प्रतिशत का जीएसटी किसानों के हित में नहीं है क्योंकि उन्हें फसल संरक्षक रसायन खरीदने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। दूसरी तरफ उर्वरक और फसल संरक्षक रसायन एक ही श्रेणी में आते है लेकिन इनपर जीएसटी दर अलग-अलग हैं, जिसका कोई मतलब नहीं है।