Budget 2022 Expectation: पिछले साल स्वास्थ्य के बजट में कोरोना टीकाकरण पर सरकार ने फोकस रखा था और 35 हजार करोड़ अलग से आवंटित किए थे जिससे देशभर में निशुल्क टीकाकरण किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस…
Budget 2022 Expectation: पिछले साल स्वास्थ्य के बजट में कोरोना टीकाकरण पर सरकार ने फोकस रखा था और 35 हजार करोड़ अलग से आवंटित किए थे जिससे देशभर में निशुल्क टीकाकरण किया गया। सूत्रों का कहना है कि इस बार सरकार लोगों को और राहत देते हुए आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ा सकती है। इस योजना के तहत कुछ नई श्रेणी के लोगों को शामिल किया जा सकता है। इसमें शामिल परिवारों को पांच लाख तक का स्वास्थ्य बीमा प्रदान किया जाता है। अभी तक दस करोड़ परिवारों को इसके दायरे में लाया गया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अगले बजट में स्वास्थ्य बीमा का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ कोरोना जैसी महामारी के मुकाबले के वास्ते जिला स्तर पर स्वास्थ्य ढांचे के विस्तार को लेकर नई योजनाओं की घोषणा हो सकती है। हालांकि, कोरोना काल में सरकार दो बार इसके लिए पैकेज का ऐलान कर चुकी है, जिससे कोरोना से लड़ने के लिए बुनियादी ढांचा मजबूत भी हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत स्वस्थ योजना के तहत पिछले साल 64180 करोड़ रुपये की मंजूरी प्रदान की गई थी लेकिन यह राशि छह सालों के लिए थी। अगले वित्त वर्ष के लिए इस मद में बड़ा आवंटन होने की उम्मीद है क्योंकि इस योजना के तहत इस साल स्वास्थ्य ढांचे के विस्तार का खाका तैयार हो चुका है। जिले अगले बजट में अमलीजामा पहनाने की जरूरत पड़ेगी।
टीकाकरण के लिए मिले थे 35 हजार करोड़
पिछले बजट में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के लिए 71269 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के लिए 2663 करोड़, टीकाकरण के लिए 35 हजार करोड़ और आयुष मंत्रालय के लिए 2970 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। हालांकि, टीकाकरण के मद में अभी राशि बची है, इसलिए इस बार नए आवंटन की संभावना कम है। अब बूस्टर डोज पर फोकस रहेगा।
20 बढ़ोतरी की उम्मीद
पिछले बजट की तुलना में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है जिससे टीकाकरण के बजट को छोड़कर भी स्वास्थ्य बजट 90 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। स्वास्थ्य के बजट में पेयजल, स्वच्छता और पोषण महकमों के बजट को भी पिछली बार जोड़ा था, लेकिन इस सबके बावजूद स्वास्थ्य बजट को जीडीपी के दो फीसदी तक पहुंचाना अभी भी चुनौती बना हुआ है।