marijuana is more dangerous than you think study relvealed read full article in hindi

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गांजा में दो तरह के केमिकल्स होते हैं THC और CBD जो अलग-अलग तरह से काम करते हैं. जहां एक तरफ THC नशा बढ़ाने का काम करता है. वहीं दूसरी ओर CBD, THC के असर को कम करता है. गांजा में पाए जाने वाले CBD लोगो की घबराहट को कम करने में मदद करती है. गांजा कितना ज्यादा खतरनाक है इसका अंदाज इस बात से लगा सकते हैं कि भारत सहित कई देशों में इस पर बैन लगाया गया है.

वहीं कई देशों में इसे लीगल कर दिया गया है. गांजा को अंग्रेजी में कैनेबिस कहा जाता है. कैनेबिस के फूलों से ही गांजा बनता है. आमतौर पर गांजे को सिगरेट की तरह पीया जाता है. वहीं कई लोग का मानना है कि इसे पीने से दिमाग एक्टिव होते हैं. आसान भाषा में समझे तो यह एक केमिकल की तरह काम करता है. जिसका नाम है THC और CBD.

गांजे को शरीर कैसे प्रॉसेस करता है
गांजे के केमिकल THC शरीर के कई टिश्यू और ऑर्गन्स में पहुंचता है. इनमें ब्रेन, हार्ट, लिवर और फैट शामिल हैं. लिवर 11-हाइड्रॉक्सी-THC और कार्बोक्सी-THC (मेटाबोलाइट्स) में मेटाबॉलिज्म करता है. जिसका करीब 85% हिस्सा अपशिष्ट पदार्थों के जरिए बाहर निकल जाता है और बाकी शरीर में जमा हो जाता है. समय के साथ शरीर के टिश्यू में जमा THC वापस ब्लड सर्कुलेशन में छोड़ दिया जाता है, जहां इसे लिवल मेटाबॉलिस करता है. 

गांजा शरीर पर कैसे असर करता है
गांजे में THC और CBD केमिकल्स पाए जाते हैं. दोनों का अलग-अलग काम है. THC नशा बढ़ाता है और CBD, टीएचसी के प्रभाव को कम करता है. सीबीडी घबराहट को कम करता है लेकिन उस समय इंसान को अंदर तक हिसा देता है. जब गांजे में टीएमसी की मात्रा सीबीडी से ज्यादा हो और उसी वक्त कोई गांजा फूंक लेता है तो टीएचसी खून के साथ दिमाग तक पहुंच जाता है और गड़बड़ियां करने लगता है. इससे दिमाग का न्यूरॉन्स कंट्रोल से बाहर हो जाता है.

गांजा फूंकने के नुकसान
1. नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, इंजीनियरिंग एंड मेडिसिन रिपोर्ट के अनुसार, गांजा फूंकने से बाइपोलर डिसऑर्डर हो सकते है, जो डिप्रेशन और मानसिक समस्याओं को बढ़ा सकता है.

2. गांजा पीने वालों में कैंसर का खतरा ज्यादा होता है. कुछ शोध बताया गया है कि इससे टेस्टिकुलर कैंसर का खतरा बढ़ता है. हालांकि, इस पर ज्यादा शोध की जरूरत है.

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3. नियमित तौर पर गांजा पीने से पुरानी खांसी का रिस्क बढ़ सकता है. इससे फेफड़े की कार्यक्षमता प्रभावित होती है और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज या अस्थमा का खतरा रहता है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

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