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भाजपा – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके गठबंधन (एनडीए) की जोरदार जीत के बाद से विपक्ष लगातार यह सवाल पूछ रहा है कि आखिर चंद महीने पहले लोकसभा चुनाव में जिस भाजपा ने इन राज्यों में खराब प्रदर्शन किया था उसे इतनी बड़ी जीत कैसे मिल सकती है। अब एक निजी एजेंसी की ओर से कराए गए सर्वे में यह पता चला है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को कम सीटें देने को लोगों ने अपनी गलती मानते हुए विधानसभा में इस गलती को सुधार लिया।
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इन दोनों राज्यों के मतदाताओं से जब इस बारे में सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि उन्हें डर था कि विपक्ष के हाथ में सत्ता जाने से देश कमजोर हो सकता है इसलिए विपक्ष के बदले फिर से भाजपा और उसके सहयोगियों की झोली वोटों से भर दी। हालांकि सर्वे यह नहीं बता पाया कि मतदाताओं के बीच यही भावना जम्मू-कश्मीर या झारखंड में क्यों नहीं दिखी जहां एनडीए को हार मिली।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति को 48 में से सिर्फ 17 सीटें मिली थीं और इसमें भी भाजपा को सिर्फ 9 और सहयोगियों शिवसेना को 7 और एनसीपी को एक सीट मिली थी। हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 5 जीती थी। इसके उलट विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो हरियाणा में पार्टी ने 90 में से 48 जबकि महाराष्ट्र में महायुति ने 288 में 235 सीटें जीत लीं।
महायुति के काम से संतुष्ट
महाराष्ट्र के सर्वे में मतदाताओं ने एक सवाल के जवाब में बताया कि लोकसभा चुनाव के दौरान वे विपक्ष के संविधान में बदलाव वाले मुद्दे से भ्रमित हो गए थे। वहीं, विधानसभा चुनाव के दौरान महायुति सरकार के काम से संतुष्ट थे।
पीएम मोदी की लोकप्रियता से भी पड़ा फर्क
लोकसभा में भाजपा को सिर्फ 240 सीटें मिलने के बाद भी पीएम नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और बढ़ ही गई। इसका असर भी मतदान पर पड़ा, जिससे भाजपा को दोनों राज्यों में बंपर जीत मिलने में मदद हुई।
एक हैं तो सेफ हैं का नारा चल गया
सर्वे में शामिल महाराष्ट्र के लोगों में से 56 प्रतिशत ने कहा कि वह एक हैं तो सेफ हैं के नारे से प्रभावित हुए जबकि 25 प्रतिशत ने बटेंगे तो कटेंगे के नारे से खुद को जुड़ा माना।
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